कौन कहां जन्म लेगा? किसके साथ कब क्या होने वाला है? कौन क्या तुम्हारे लिए प्रतिक्रिया देगा? तुम गरीब परिवार में पैदा होगे या अमीर परिवार में? यह सब किसी को पता नही है। स्वयं व्यक्ति अपना नहीं बता सकता, तो दूसरों का बताना तो असंभव ही है। यही सोच-सोच कर हम अपना वर्तमान समय राग-द्वेष, कषायों में लगा देते हैं। हमें पता भी नहीं चलता है, कब किस कर्म ने हमें बांध लिया है, पर तुम्हारे शुभ भाव कर्म से सब अच्छे कर्म बंधेंगे और अशुभ भाव कर्म से बुरे, अशुभ बंधेंगे।
पर यह पक्का है कि धार्मिक विचारों, भावों, क्रियाओं से शुभ कर्म का बंध और हिंसा, झूठ, गलत आचरण आदि अशुभ क्रियाओं से अशुभ कर्म का बंध होगा। पर कैसे संभव है कि हम हर समय धार्मिक अनुष्ठान कर सकते हैं, परिवार चलाने के लिए व्यापार-नौकरी आदि करना होता है, इन सबके साथ कैसे हर समय सकारात्मक सोच बनाए रख सकते हैं? एक बात का ध्यान रखना, जितने भी धार्मिक अनुष्ठान हैं, वह सब हमारे भावों, परिणामों को शुभ और निर्मल करने के लिए हैं। जिस प्रकार हम स्कूल में एक साल पढ़ाई करते हैं, पर वह पढ़ाई परीक्षा के समय काम आती है, ठीक इसी प्रकार हम 10वीं, 12वीं बीए, एमबीए आदि की पढ़ाई कर लेते हैं, सबका परीक्षा परिणाम कब काम आता, जब हम नौकरी के लिए जाते हैं। उसके पहले वह सारे परीक्षा परिणाम कोई काम के नहीं होते। बस कुछ ऐसा यहां पर भी है। धार्मिक अनुष्ठान हमारे भावों को निर्मल करता है। निर्मल भावों का उपयोग उस समय काम आता है, जब हमारे भावों में नकारात्मक सोच का जन्म होता है। धार्मिक अनुष्ठान के माध्यम से आपने अपने भावों-विचारों को जो निर्मल किया था, उनका उपयोग आप अपने दैनिक चर्या के काम करते समय लो, तो शुभ ही कर्म का बंध होगा। क्या हैं शुभ भाव? प्रात: उठते ही प्रभु का स्मरण। माता-पिता के चरणों का स्पर्श। दाने निकालने का भाव करना। दर्शन-ज्ञान-चरित्र में, उपयोग में, संयम, व्युत्सर्ग, प्रत्याख्यान, क्रिया, धर्मध्यान, समिति, विद्या, आचरण, महाव्रत, समाधि, गुण, ब्रह्मचर्य, पेड़-पौधों में, जल संरक्षण में, क्षमा, प्राणी मात्र, निग्रह, आर्जव, मार्दव, मुक्ति, विनय तथा श्रद्धा में मन का संकल्प होना शुभ भाव है। यही भाव होना चाहिए, तभी शुभ कर्म बंध होगा, जो पूण्य का अर्जन करवाएगा ।
अनंत सागर
29 सितम्बर, 2020, मंगलवार, लोहारिया
कर्म सिद्धांत
(बाईसवां भाग)
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