प्रेरणा :- ‘सुरंगे खोद कर पानी की प्यास बुझाते है कुम्बुज’- अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
कहते है इंसान चाहे तो सब कुछ कर सकता है। यह बात इंसान ने कई बार साबित भी की है। मानव सभ्यता की तरक्की इस बात का प्रमाण है। इंसान की यह दृढ़ इच्छा शक्ति उससे ऐसे काम करा देती है जो अकल्पनीय लगते है। बिहार के माउंटेन मैन दशरथ मांझी इसका उदाहरण है, जिन्होंने अपने दम पर एक पहाड़ का सीना चीरा और गांव वालों के लिए तरक्की का रास्ता खोल दिया। कुछ ऐसा ही काम केरल के कासरबोड के कुम्बुज कर रहे हैं। आज उन्हीं की प्रेरणादायी कहानी के बारे में जानते हैं।
केरल के कासरबोड़ के कुम्बुज अपने गांव वालों की प्यास बुझाने के लिए पिछले 50 साल से सुरंगे खोद रहे हैं। धरती से पानी निकालने के लिए हम अक्सर बोरवैल खोदते हैं, लेकिन बोरवैल से भूजल स्तर प्रभावित होता है और यह प्राकृतिक तौर पर सही नहीं है। ईरान में पानी की इस कमी को दूर करने के लिए सुरंगे खोदने की प्रणाली पर काम किया जाता है। केरल के कुम्बुज इसी प्रणाली पर अपने गांव और आसपास के इलाके में काम कर रहे हैं। वे अब तक एक हजार से ज्यादा सुरंग खोद चुके हैं। पानी प्राप्त करने की इस प्रणाली मंें ढाई फीट चैडी और 300 मीटर लम्बी सुरंग खोदी जाती है। ये सुरंगें ऐसे स्थान पर खोदी जाती हैं जहां जमीन में नमी हो। सुरंग के लिए उपयुक्त स्थान की खोज का काम आसान नहीं है और इसके लिए काफी अनुभव की जरूरत है। कुम्बुज इस मामलेे में काफी अनुभवी हैं। वे अपनी कुदाल और मोमबत्ती के सहारे यह काम करते है। मोमबत्ती उन्हें सिर्फ रोशनी ही नहीं देती, बल्कि खतरे से भी बचाती है। दरअसल सुरंग खोदने में अक्सर आॅक्सीजन का स्तर कम होने का खतरा रहता है। ऐसे में जब कुम्बुज को लगता है कि मोमबत्ती नहीं जल रही है तो वह समझ जाते हैं कि आॅक्सीजन का स्तर कम है और वे वहां से निकल जाते हैं। इस इलाके में पहले भी यह काम होता रहा है और बडी संख्या में सुरंगे बंद हो गई है। कुम्बुज नई सुरंगे खोदने के साथ ही बंद हो गई सुरंगों को फिर से पुनर्जीवित करने के काम में भी लगे हुए हैं। ये सुरंगे बरसों तक गांव वालों की प्यास बुझाती हैं और इस उम्र में भी कुम्बुज का जोश और जज्बा सभी के लिए प्रेरणा बना हुआ है।
अनंत सागर
प्रेरणा
(तैतीसवां भाग)
17 दिसम्बर, गुरुवार 2020, बांसवाड़ा
अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
(शिष्य : आचार्य श्री अनुभव सागर जी)
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