आशीर्वाद
अपने कार्य क्षेत्र में विशिष्ट पहचान रखने के साथ ही समाज और देश-प्रदेश के कल्याण एवं उत्थान में जुटे आप जैसे विद्वतजन से सम्पर्क करते हुए मैं गौरव और हर्ष की अनुभूति कर रहा हूं।
यह सर्वविदित है कि जैन धर्म का इतिहास, संस्कृति और संस्कार इतने समृद्ध हैं कि दुनियाभर में हमारी गौरवशाली पहचान है। इस स्वर्णिम इतिहास और संस्कृति को शब्दों में बांधना आसान नहीं है। हमारे आचार्यों एवं मुनियों ने इस धर्म की महानता को अपनी कठोर तपस्या से विश्वजगत में स्थापित किया है, लेकिन यह कहने में मुझे संकोच नहीं है कि आधुनिकता की भाग-दौड़ और चकाचौंध में हम हमारी गौरवशाली विरासत से दूर होते जा रहे हैं। जैन दर्शन के जिन सिद्धांतों ने पूरी दुनिया को अहिंसा, शांति, तप, त्याग, क्षमा, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य जैसे गुणों का खजाना दिया, आज उसी के अनुयायी इस अनमोल खजाने से दूर हो गए हैं। हमारा इतिहास कहीं न कहीं लुप्त होने की ओर है।
यह कहते हुए भी खेद है कि इसका कारण भी कहीं ना कहीं हम ही हैं, क्योंकि हम अपने इतिहास, संस्कृति और संस्कारों को अपनी दिनचर्या का हिस्सा नहीं बना पा रहे हैं। चाहे धार्मिक आयोजन हो, सामाजिक कार्यक्रम या अन्य कोई अवसर हमारी भाषा, खान-पान, बोल-चाल, पहनावा आदि में जैन धर्म और दर्शन की झलक नजर नहीं आती है। हमारी युवा एवं नई पीढ़ी जैन सिद्धांतों की प्रासंगिकता को नहीं समझ पा रही है। हमारे संस्कार और संस्कृति हमसे पीछे छूटती जा रही है। यह बेहद खतरनाक है, क्योंकि संस्कृति और संस्कारों की क्षीणता हमारे अस्तित्व को ही समाप्त कर देती है।
मैं आप से सादर अनुरोध, निवेदन, आग्रह करता हूं कि आप इस दिशा में चिंतन और मंथन करें। हम मिल बैठकर कर यह विचार करें कि कैसे हम अपने धर्म के इतिहास, संस्कार और संस्कृति आदि को दिनचर्या का हिस्सा बना पाएं। हमारे आचरण, व्यवहार और विचारों में जैन धर्म की झलक हमेशा मौजूद रहे।
आप की सोच, ज्ञान, कार्य करने की शक्ति-क्षमता, अनुभव और पुरुषार्थ करने की लगन एवं सकारात्मक सोच ने आपको एक काबिल और सफल व्यक्ति बनाया है। समाज में प्रतिष्ठा दिलाई है। आपकी यही अच्छाई और ऊर्जा धर्म के भी काम आए तो धर्म के प्रति और समाज मे एक नई सोच का जन्म होगा ।
प्रतिभाशाली व्यक्तित्व का समाज सुधार और उत्थान के लिए आगे आना शुभ संकेत होगा। ऐसे गुणीजनों के आगे आने से समाज की संस्थाओं को नई सोच और सही दिशा मिलेगी। संस्थाएं और मजबूत बनेगी, उनमें रचनात्मकता बढ़ेगी, जो समाज के सम्यक उन्नयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी।
संस्कारों की प्रगाढ़ता की दिशा में भी यह एक नए अध्याय की शुरुआत होगी। समाज को नशा मुक्त बनाने, तीर्थों के विकास में मार्गदर्शन, युवाओं को उच्च शिक्षा एवं रोजगार के बेहतर अवसर दिलाने में यह कदम कारगर होगा ऐसी आशा है। आपका सहयोग और सुझाव इस पहल को सफल परिणिति तक पहुंचाने में अहम होंगे। इस नेक भावना से ‘मंथन‘ 2023 का आयोजन करने का मानस बनाया गया है। इस पुनीत आयोजन को लेकर आप की प्रतिक्रिया और भागीदारी अपेक्षित है। सामूहिक प्रयास ही इस सद्भावी कोशिश को सार्थकता प्रदान कर सकेंगे।
हमारी एक छोटी सी कोशिश समाज को बड़े आयाम दे सकती है। आइए इस पावन प्रयास में साथ मिल कर चलें और नया इतिहास रचें।
आप इस पत्र के साथ अनुमति पत्र के लिंक पर क्लिक कर उसे भरकर हमें हौसला दें और विश्वास दिलाएं कि आप इस नेक जिम्मेदारी के निर्वहन में हमारे साथ हैं।
आपकी प्रतीक्षा में……….।
सभी विद्वतजन अपने सुझाव एवं प्रतिक्रिया हमें प्रेषित कर सकते हैं एवं किसी भी तरह की जानकारी के लिए मोबाइल या पत्र के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं।
मो. 9571161414
अजित जैन ,64 अशोक नगर,रोड़ नम्बर 2,उदयपुर (राजस्थान)
सादर।
अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर महाराज
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