बांसवाड़ा। बांसवाड़ा के लोहारिया में चातुर्मास कर रहे दिगम्बर जैन संत आचार्य श्री अनुभव सागर महाराज के सानिध्य में अन्तर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर महाराज ने 45 दिन की मौन साधना की है। उनकी मौन साधना शनिवार को शरद पूर्णिमा के शुभ अवसर पर पूर्ण हुई है।उल्लेखनीय है कि मुनि श्री ने इससे पहले 48 दिन की मौन साधना किशनगढ़ में की थी। मुनि श्री प्रतिवर्ष ऐसी मौन साधना करते है ।
अन्तर्मुखी मुनि श्री ने बताया कि इस बार मौन साधना में उन्होंने जाप और भक्तामर विधान किया। मौन के अंतिम दस दिन 2688 अर्घ्य वाला वृहद भक्तामर विधान किया है।। यह विधान दस दिन में दो बार किया गया। मुनि श्री ने बताया कि मौन से आत्मिक शक्ति, चिंतन शक्ति और धारणा शक्ति बढ़ी है। यह अपने आप में बहुत अच्छा अनुभव रहा है। मुनि श्री ने कहा कि मौन से बाहरी संबंध समाप्त होते हैं जिससे संकल्प विकल्प भी कम होता है। वास्तव में मौन अपने आप को पहचानने का साधन है। इससे कषाय कम होती हैं और चित्त निर्मल बनता है।
31
Oct
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