उदयपुर। जब बाम लगाने से सिर का दर्द चला जाता है तो क्या तीर्थंकर के गन्धोदक लगाने से शरीर के रोग नहीं चले जाएंगे, यही जिनेन्द्र भगवान की महिमा है। भगवान की मूर्ति को स्पर्श होकर जो पदार्थ आता है, वह हमारे लिए गन्धोदक होता है। यह बात अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज ने पहाड़ा ,उदयपुर स्थित पद्मप्रभु दिगम्बर जैन मन्दिर में भगवान पद्मप्रभु के मोक्षकल्याणक के अवसर पर कही। उन्होंने कहा कि गन्धोदक को विवेक और विनय के साथ शरीर पर कहीं भी लगा सकते हैं। गन्धोदक एक ऐसी दवा है, जिससे शरीर के हजारों प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं। प्राचीन शास्त्र में उल्लेखित है कि गन्धोदक लगाने से कुष्ठ रोग दूर हो जाता है।
पंचामृत अभिषेक
पद्मप्रभु भगावन का जल,घी, मौसमी, अनार, अंगूर, अनानास, घी, शक्कर, नारियल, दूध, दही, सवौषधी, केसर के साथ अभिषेक किया गया। इसके बाद दूध से शांतिधारा की गई। पंचामृत अभिषेक करने का लाभ देवीलाल वागवात, जम्बु दलावत, ममता दलावत, सूर्यप्रकाश,अमित जैन,चिराग जैन, अरविन्द,प्रिंस को मिला।
निर्वाण लड्डू चढ़ाया
पद्मप्रभु भगवान के मोक्षकल्याणक पर भगवान की अष्ट द्रव्य से पूजा करने के बाद निर्वाण लड्डू चढ़ाया गया। तीन बड़े लड्डू के साथ 51 छोटे लड्डू चढ़ाए गए। मुख्य लड्डू सुरेन्द्र दलावत परिवार, मांगीलाल जैन, नाथुराम जैन द्वारा चढ़ाया गया।
108 पुष्पों से जाप
भगवान पद्मप्रभु के चरणों में ऊँ ह्रीं पद्मप्रभु जिनेन्द्राय नम: बोल कर गुलाब के 108 पुष्प सुमित्रा देवी दलावत परिवार द्वारा चढ़ाए गए।
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