पांच अणुव्रत में प्रसिद्ध व्यक्तियों नाम और कहानी पर बात कर के आए हैं। आज बात करेंगे हिंसा आदि पांच पापों में प्रसिद्ध हुए व्यक्तियों के नाम और कहानी की। हिंसा आदि पाप स्व और पर के दुःख का कारण है। पाप वह कृत्य है, जिससे मनुष्य की मानसिकता, सौम्यता, एकत्व नष्ट हो जाता है। पाप मनुष्य के मन को दो भागों में विभाजित कर देता है। एक भाग दूसरे भाग से लड़ने लगता है। पाप मनुष्य दूसरों से नहीं अपने आप से भी छिपाता है। यह छिपाना ही अपराध है। समाज के विरुद्ध किया कार्य अपराध है और अपने आप के विरुद्ध किया कार्य पाप है।
आचार्य समन्तभ्रद स्वामी ने रत्नकरण्ड श्रावकाचार में हिंसा आदि पांच पापों में प्रसिद्ध व्यक्तियों के नाम बताए हैं ….
धनश्रीसत्यघोष च, तापसारक्षकावपि ।
उपाख्येयास्तथा श्मश्रु-नवनीतो यथाक्रमम् ॥65॥
अर्थात- हिंसा में धनश्री, झूठ में सत्यघोष, चोरी में तापस, कुशील में कोतवाल, परिग्रह में श्मश्रुनवनीत क्रम से पाँच पापों में प्रसिद्ध हुए हैं।
आज पहले पाप हिंसा में प्रसिद्ध धनश्री की कहानी पढ़ते हैं।
लाटदेश के भृगुकच्छ नगर में राजा लोकपाल रहता था। वहीं एक धनपाल नाम का सेठ रहता था। उसकी स्त्री का नाम धनश्री था। धनश्री जीवहिंसा से कुछ भी बिरत नहीं थी अर्थात् निरन्तर जीव हिंसा में तत्पर रहती थी। उसकी सुन्दरी नाम की पुत्री और गुणपाल नाम का पुत्र था। जब धनश्री के पुत्र नहीं हुआ था तब उसने एक कुण्डल नामक बालक का पुत्रबुद्धि से पालन-पोषण किया। समय पाकर जब धनपाल की मृत्यु हो गई तब धनश्री उस कुण्डल के साथ कुकर्म करने लगी। इधर धनश्री ने कुण्डल से कहा कि मैं गोखर में गाएँ चराने के लिये गुणपाल को जंगल भेजूंगी सो तुम उसके पीछे लगकर उसे वहाँ मार डालो, जिससे हम दोनों का स्वच्छन्द रहना हो जायेगा कोई रोक नहीं सकेगा। यह सब कहती हुई माता को सुन्दरी ने सुन लिया, इसलिये उसने अपने भाई गुणपाल से कह दिया कि आज रात्रि में गोधन लेकर गोखर में माता तुम्हें जंगल भेजेगी और वहाँ कुण्डल के हाथ से तुम्हें मरवा डालेगी, इसलिये तुम्हें सावधान रहना चाहिये।
धनश्री ने रात्रि के पिछले पहर गुणपाल से कहा हे पुत्र! कुण्डल का शरीर ठीक नहीं है, इसलिये आज तुम गोखर में गोधन लेकर जाओ गुणपाल गोधन को लेकर जंगल गया और वहाँ एक काष्ठ को कपड़े से ढककर छिपकर बैठ गया। कुण्डल ने आकर यह गुणपाल है ऐसा समझकर वस्त्र से ढके हुए काष्ठ पर प्रहार किया। उसी समय गुणपाल ने तलवार से उसे मार डाला। जब गुणपाल घर आया तब धनश्री ने पूछा कि गुणपाल कुण्डल कहाँ गया ? गुणपाल ने कहा कि कुण्डल की बात को यह तलवार जानती है। तदनन्तर खून से लिप्त बाहु को देखकर धनश्री ने उसी तलवार से गुणपाल को मार दिया। भाई को मारती देख सुन्दरी ने उसे मूसल से मारना शुरू किया। इसी बीच में कोलाहल होने से कोतवालों ने धनतश्री को पकड़कर राजा के आगे उपस्थित किया। राजा ने उसे गधे पर चढ़ाया तथा कान, नाक आदि कटवाकर दण्डित किया, जिससे मरकर दुर्गति को प्राप्त हुई।
अनंत सागर
श्रावकाचार ( 74 वां दिन)
मंगलवार, 15 मार्च 2022, घाटोल
Give a Reply