डूंगरपुर/सागवाड़ा/भीलूडा, 24 मार्च – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर महाराज ने कोरोना की दूसरी लहर के तहत संक्रमण के बढते मामलों पर चिंता प्रकट करते हुए समाज से आह्वान किया है कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए सामूहिक पूजा-पाठ और अनुष्ठानो से बचें।
भीलूडा में शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में प्रवास कर रहे मुनिश्री ने कहा है कि हम देख रहे हैं कि कोरोना महामारी एक बार फिर असर दिखा रही है और कहा जा रहा है कि यह पहले से चार गुना तेजी से फैल रहा है। जहां हम है वहां भी संक्रमण फैल रहा है। लोग ठीक होकर आ भी रहे है, लेकिन यह संक्रमण शरीर को कमजोर बनाता है और पिछले वर्ष इस संक्रमण के कारण ही समाज की कई विभूतियां चली गई। इस संक्रमण की गम्भीरता वे परिवार जानते हैं जिन्होंने अपना कोई परिजन इस बीमारी के चलते खोया है।
मुनिश्री ने कहा कि हम धर्म के साथ जिएं और धर्म के साथ मरण करें, लेकिन अभी हमें बहुत सावधानी रखने की जरूरत है। शास्त्रों में कहा गया है कि पूजन द्रव्य, काल और क्षेत्र की स्थिति को देखकर ही करनी चाहिए। अभी जो स्थिति उसमें हमें इस बात का ध्यान रखना है कि हम सामूहिक अनुष्ठान ना करें। पूजापाठ हमें अवश्य करें, लेकिन व्यक्तिगत स्तर पर करें।
मुनिश्री ने कहा कि जैन समाज प्रबुद्ध और विवेकी समाज है और हमें इस बात का ध्यान रखना है कि हमारे कारण किसी और को कष्ट नहीं होना चाहिए। हम जिओ और जीने दो में विश्वास करने वाले लोग है इसलिए हम खुद भी बचें और दूसरों को भी बचाएं। मुनि श्री ने कहा कि हमें दूसरों की देखादेखी नहीं करनी है। हमें अपना, अपने समाज का और दूसरो का ध्यान रखना है। हम ना सामूहिक अनुष्ठान करें और ना ही इसे प्रचारित करें, क्योंकि यह भी द्वेष का कारण बन सकता है। मंदिरों में भीड में ना करें। भीड में ना अभिषेक करें और ना ही पूजन करें। कहीं ऐसा ना हो कि हमारी असावधानी मंदिरो को एक बार फिर बंद करा दे और इसका कलंक हमारे समाज पर आए। मुनिश्री ने कहा कि कोरोना सामूहिक पाप कर्म का उदय है और हम सभी इसे भोग रहे है, लेकिन जो नियम और तप से रहते हैं, वे इससे बचे हुए है, तो हमें नियम और तप तो करना है, लेकिन व्यक्तिगत स्तर पर ही करना है। आगे कई त्यौंहार और आदिनाथ जयंती, महावीर जयंती जैसे पर्व आ रहे है। इन्हें हम उत्साहपूर्वक मनाना चाहते हैं, लेकिन इस दौरान भी हमें समय, क्षेत्र व परिस्थिति का ध्यान रखना है।
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