17
Aug
किशनगढ़ बहुत से मुनियों की कर्मस्थली रही है। आयुर्वेदाचार्य होने की वजह से मैं कई मुनियों और संतों के सान्निध्य में रहा लेकिन सच कहूं तो आज तक मैंने मुनि पूज्य सागर जी जैसा संत नहीं देखा। मैंने उनके विचारों को, उनकी भावनाओं को इतना विलक्षण पाया है कि मैंने उनके ज्ञान के आगे नतमस्तक हो चुका हूं। मैं साधना काल में उनके साथ रहा और उनकी सेवा की। यही कारण कि मैं यह समझ पाया कि मुनि पूज्य सागर जी समाज की जितनी चिंता करते हैं, उतनी चिंता शायद ही कोई और संत करता होगा। खास बात यह भी रही कि इस दौरान मेरा एक बहुत दिन पहले सोचा हुआ काम भी हो गया। यह किशनगढ़ की जनता का परम सौभाग्य है कि वे यहां आए।
वैद्य प्रकाश चन्द्र शर्मा
किशनगढ़
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