राजवार्तिक और यशस्तिलक चम्पूगत में दस प्रकार का सम्यकदर्शन भी होता है । तो आओ जानते हैं ।
आज्ञा सम्यकदर्शन – वीतराग भगवान् की आज्ञा से ही जो तत्व श्रद्धान होता है, वह आज्ञा सम्यकदर्शन है।
मार्ग सम्यकदर्शन – ग्रन्थ श्रवण के बिना जो कल्याणकारी मोक्षमार्ग का श्रद्धान होता है, उसे मार्ग सम्यकदर्शन कहते हैं।
उपदेश सम्यकदर्शन – 63 शलाका पुरुषों की जीवनी को सुनकर जो तत्व श्रद्धान उत्पन्न होता है, उसे उपदेश सम्यकदर्शन कहते हैं।
सूत्र सम्यकदर्शन – मुनियों की चर्या को बताने वाले ग्रन्थों को सुनकर जो श्रद्धान होता है, उसे सूत्र सम्यकदर्शन कहते हैं।
बीज सम्यकदर्शन – बीज पदों के श्रवण से उत्पन्न श्रद्धान को बीज सम्यकदर्शन कहते हैं।
संक्षेप सम्यकदर्शन – जो जीवादि पदार्थों के स्वरूप को संक्षेप से ही जान कर तत्व श्रद्धान को प्राप्त हुआ है, उसे संक्षेप सम्यकदर्शन कहते हैं।
विस्तार सम्यकदर्शन – जो भव्य जीव 12 अंगो को सुनकर तत्व श्रद्धानी हो जाता है, उसे विस्तार सम्यकदर्शन कहते हैं।
अर्थ सम्यकदर्शन – वचन विस्तार के बिना केवल अर्थ ग्रहण से जिन्हें सम्यकदर्शन हुआ है, वह अर्थ सम्यकदर्शन है।
अवगाढ़ सम्यकदर्शन – श्रुतकेवली का सम्यकदर्शन अवगाढ़ सम्यकदर्शन कहलाता है।
परमावगाढ़सम्यकदर्शन – केवली का सम्यकदर्शन परमावगाढ़ सम्यकदर्शन कहलाता है।
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