आज पाठशाला में चर्चा करेंगे विवादों से दूर कैसे रहें। किसी भी धर्म के किसी भी ग्रंथ में यह नही कहा गया है कि धर्म के नाम पर विवाद करो बल्कि यह कहा गया है कि धर्म के सहारे सारे विवादों को सुलझा लो। विवादों से नकारात्मक सोच, शत्रुता, हिंसा का वातावरण बनता है जो सुखी जीवन में बाधा उत्पन्न करते हैं। हमारी शक्ति एक दूसरों को नीचा दिखाने में लग जाती है।
रावण प्रकांड विद्वान था, धर्म का ज्ञाता था पर उसने सीता का हरण कर अपने आप को विवाद में डाल लिया। रावण इतने विवाद में पड़ गया कि आज हम अपने बच्चों का, दुकान का, घर का नाम तक रावण रखना पसंद नहीं करते। रावण ने सीता का हरण करने के बाद उसका स्पर्श तक नही किया था क्योंकि उसने अनंतवीर्य मुनि से नियम लिया था कि जब तक कोई स्त्री स्वयं उसे स्वीकार नहीं करेंगी तब तक उसका स्पर्श तक नही करूंगा और उसने यह नियम अंत समय तक निभाया क्योंकि वह धार्मिक था, पर सीता का हरण कर वह विवाद में आ गया तो आज पूरी दुनिया रावण को नकारात्मक दृष्टि से देखती है। विवाद में आने से रावण राम से युद्ध मंे हार गया और रावण की शक्ति, ज्ञान, धन आदि सब कुछ चला गया। यहां तक कि परिवार के लोग उसे छोड़ कर चले गए। रावण की घटना से यह समझ लेना चाहिए कि विवादित जीवन से जीवन का सुख चला जाता है।
तो आज की पाठशाला से शिक्षा लेना कि जब भी विवाद की स्थिति बनेगी तो धर्म के आधार पर विवाद को सुलझाओगे और अपने आप को दुःखी होने से बचाओगे। विवादों को सुलझाने के लिए किसी से क्षमा माँगनी होगी, अपनी गलती स्वीकार करनी होगी तो स्वीकार करोगे पर अपने आप को विवादों से बचाओगे।
अनंत सागर
पाठशाला
(इकतीसवां भाग)
28 नवम्बर 2020, शनिवार, बांसवाड़ा
अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
(शिष्य : आचार्य श्री अनुभव सागर जी)
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