उदयपुर। पद्मप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर पहाड़ा, उदयपुर में अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज के सानिध्य में चल रहे सिद्धचक्र मंडल विधान के तीसरे दिन 4 मार्च को खीर, लड्डू, मिठाई, जलेबी आदि व्यंजन नैवेद्य के रूप में पूजन में श्रावकों द्वारा चढ़ाए गए। तीसरे तीन मंडल पर 64 अर्घ्य समर्पित किए गए। इस अवसर पर अंतगर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज ने प्रवचन में कहा कि व्यक्ति को अपनी शक्ति के अनुसार दान करना चाहिए। दूसरों के प्रति मन निर्मल रखना चाहिए।
व्यक्ति जैसी भावना करता है, उसका वैसा ही फल उसको मिलता है। भगवान की भक्ति सांसारिक सुख और मोक्ष सुख, दोनों देती है लेकिन हमें भगवान की भक्ति करते समय सांसारिक सुख की कामना नही करनी चाहिए।
हमें तो मोक्ष सुख की कामना से भक्ति करनी चाहिए। पुण्य की कमी से मोक्ष नहीं मिला तो सांसारिक सुख तो अपने आप मिल जाएगा। उन्होंने श्रावकों से कहा कि आज आप ने पूजन में जो नैवेद्य चढ़ाए हैं जो समझ लेना आपको जीवन में कभी अन्न की कमी नहीं होगी
इससे पहले तीसरे दिन विधान में मुख्य सौधर्म इन्द्र बनने का लाभ धनराज सेठ को, यज्ञनायक बनने का लाभ रमेश चित्तौड़ा को मिला। जिनेन्द्र भगवान का पंचामृत अभिषेक और शांतिधारा करने का लाभ वदीचंद्र गुडलिया, राजेन्द्र अदवासिया, प्रकाश डुंगरिया, मनोहर पटवा को प्राप्त हुआ। हर रोज शाम को सिद्धचक्र मंडल की आरती और मुनि श्री द्वारा ऋषिमंडल स्तोत्र का अर्थ करवाया जा रहा है।
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