संसार में कोई भी वस्तु खराब नहीं होती। खराब होती है तो उसका उपयोग करने वाले कैसे लोग हैं। कहां, कब, क्या उपयोग करना चाहिए, इसका ज्ञान आवश्यक है। वास्तव में देखा जाए तो प्राकृतिक साधन, वस्तु का उपयोग करने में कोई हानि नहीं, पर जो मानव द्वारा बनाई गई हैं, उससे लाभ और हानि दोनों ही हैं। बस, यही ध्यान रखना है कि मानव द्वारा बनाई गई वस्तु का कब, कहां और कितना उपयोग करना है। श्रीफल के इस अंक में स्मार्टफोन और शिक्षा पर चर्चा की गई है। स्मार्ट फोन से लाभ और हानि दोनों बाते कही गई हैं। स्मार्टफोन हमें नई- नई जानकारी दे सकता है, कुछ क्षणों में देश दुनिया की जानकारी दे सकता है। इसके अलावा और भी कई प्रकार के लाभ हो सकते हैं, पर ज्ञान का क्षयोपशम नहीं बढ़ा सकता है। स्मृति,याददाश्त को नहीं बढ़ा सकता है। एक छोटा सा उदाहरण देखिए-आपके पास जब स्मार्टफोन नहीं था तो कई नम्बर हमें याद थे। पर अब हमें अपने अपनों के नम्बर ही याद नहीं हैं। यह सब इसलिए हुआ क्योंकि आपने अपने अंदर यह धारणा बना ली है कि मेरे पास सारी जानकारी स्मार्टफोन में है, उसमें देख लूंगा। स्मार्टफोन खराब हो जाए, डाटा डिलीट हो जाए, वायरस आ जाए, आदि कई प्रकार की समस्याएं हैं। सेव की गई जो जानकारी है, वह सही है या गलत उसका भी पता नहीं है। जो जानकारी है, वह भी पूरी और क्रमश: भी नहीं मिलती है। दूसरी ओर, पुस्तकों को पढ़ने से किसी प्रकार की हानि नहीं, बस कितने समय पढ़ना है यह ध्यान रखना है। स्मार्टफोन स्मृति शक्ति की कम करता है तो पुस्तक स्मृतिशक्ति को बढ़ाती है।
एक बात और, स्मार्टफोन के जरिए कई बार ऐसी जानकारी भी हमें देखने में आ जाती है जिससे हमारे अंदर राग-द्वेष के भाव हो जाते हैं। यही भाव अशुभ कर्म को बांधते हैं जिससे ज्ञान का क्षयोपशन कम होता है। स्मार्टफोन से जानकारी तो मिलती है, पर देश दुनिया पर हम अपने अंदर की प्रतिभा और शिक्षा या ज्ञान बढ़ा नहीं सकते हैं। कई ऐसे महान वैज्ञानिक, महात्मा,विद्वान आदि हैं जिन्होंने स्मार्टफोन के बिना भी अपनी ज्ञान इन्द्रियों को जाग्रत किया है।
ज्ञान को बढ़ाने के लिए प्रभु भक्ति, सरस्वती की आराधना की जाती है। वह तो पुस्तकों से ही सम्भव है न कि स्मार्टफोन से। ….बाकी आप इस मंथन के अंक को पढ़ें। उसके बाद आप स्वयं ही समझें कि वास्ताव में सही क्या है? हम यह नहीं कह रहे कि स्मार्टफोन का उपयोग करना गलत है, पर कब,कहां,कितना और कैसा करना चाहिए इसकी जानकारी अवश्य होनी चाहिए।
श्रीफल संपादकीय
अक्टूम्बर 2021
अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर
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