आज हम देख रहे हैं कि एक दूसरे के प्रति विनय, सम्मान का भाव कम होता जा रहा है। सब अपने आप को बड़ा मानते हैं। एक दूसरे के भावों को नहीं समझते हैं। इसी के कारण छोटे-बड़े का भेद खत्म होता जा रहा है। गुणों के बजाए धन को महत्व देने लगे हैं। यह सब इसलिए हो रहा है कि आज लोगों को पता नहीं कैसे कर्म का बन्ध हो जाता है। कर्म और उसके बन्ध को समझने के लिए ज्ञान की आवश्यकता है। उसके लिए स्वाध्याय की आवश्यकता है। जो आज जीवन से निकलता ही जा रहा है। स्वाध्याय के अभाव में ही हम अपने आप को संकट में डाल रहे हैं। जीवन में सब अधिक महत्व स्वाध्याय को देना चाहिए तभी हम अपने जीवन को सही दिशा दे सकते हैं। आज पैसा है, पॉवर है पर स्वाध्याय नहीं है तो इन सब का दुरुपयोग हो रहा है। जो पैसा, पॉवर आदि पुण्य को दे सकते हैं वही पाप करवा रहे हैं। अज्ञानता होने से हम सही और गलत का निर्णय ही नहीं कर पा रहे हैं। तो चलो अब तो समझ जाओ। जो जीवन अज्ञानता में गया है उसे छोड़ें और जो शेष बचा है उसे स्वाध्याय के साथ निकाल कर ज्ञान प्राप्त करें और पुण्य का संचय कर पुण्य से मिलने वाले धन, पॉवर आदि का सही उपयोग कर आने वाले समय को भी सुखी,समृद्ध और संपन्न बनाएं।
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अनंत सागर
अंतर्मुखी के दिल की बात
चौबनवां भाग
12 अप्रैल 2021, सोमवार, भीलूड़ा (राजस्थान)
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