22 Jan By admin 0 Comment In आलेख a, antarmukhi, samvasaran, अंतर्मुखी, मुनि पूज्य सागर महाराज, समवशरण समवशरण ही वह स्थान है जहां मनुष्य,तिर्यंच,और देव,एक साथ बैठकर सुनते हैं भगवान का धर्म उपदेश – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज