सेठ टोडरमल जैन….पंजाब के सिखों मे एक पूजनीय नाम है। टोडरमल सरहिंद के व्यापारी थे। वहां के नवाब ने मुगलों के आदेश पर गुरु गोविंद सिंह के दोनों पुत्रों को जिंदा ही दीवार में चुनवा दिया था और उनके शव देने से मना कर दिया था… लेकिन तब के वहां के नगर सेठ टोडरमल दोनों बच्चों की दादी यानी गुरु गोविंद सिंह जी की मां के साथ उनके शव लेने पहुंचे तो वहां के नवाब ने एक अनोखी शर्त रख दी। नवाब ने कहा कि जितनी जमीन पर इनका अंतिम संस्कार करोगे उतनी जमीन में सोने के खडे़ सिक्के लगाने पड़ेंगे, वरना मृत बच्चे और अंतिम संस्कार के लिए जमीन नहीं दी जाएगी!!
तब सेठ टोडरमल ने अपनी सारी संपत्ति बेचकर सत्यासी हजार सोने के सिक्के इकट्ठे कर जमीन में लगवाए और जितनी जमीन हो सकी उस पर दोनों बच्चों का अंतिम संस्कार किया। यह ऐतिहासिक जगह फतेहगढ़ साहिब में आज भी है। यहीं पर फतेहगढ़ साहिब गुरुद्वारा भी है और पूरे देश के सिख यहां आते हैं।
पिछले वर्ष बहुत बड़े प्रवचन स्थल का नाम सेठ टोडरमल जैन प्रवचन हाॅल रखा गया है जो कि उस इलाके का सबसे बड़ा सभागार है। सिख समुदाय के लोग बेहद सम्मान पूर्वक इस घटना का बार-बार उल्लेख करते हैं। यह इतिहास की अपने आप में एक अद्भुत घटना है जिसने 2 समाजों को आपस में जोड़ कर रखा है!
पंजाब के हाहाकारी आतंकवादी आंदोलन में भी किसी आतंकवादी और किसी सिख ने कभी जैन समाज को नुकसान नहीं पहुंचाया। इसकी कल्पना भी नहीं की, क्योंकि उन्हें अपने सामने टोडरमल जैन खड़े दिखाई देते थे।
अनंत सागर
प्रेरणा
(इकतीसवां भाग)
3 दिसम्बर, गुरुवार 2020, बांसवाड़ा
अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
(शिष्य : आचार्य श्री अनुभव सागर जी)
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