पद्मपुराण के पर्व 67-68-69 में एक प्रसंग वर्तमान में राजनीति करने वाले लोगों के लिए प्रेरणा लेने वाला है। इस प्रसंग से यह स्पष्ट होता है कि बड़े से बड़े युद्घ में भी धर्म का पालन होना चाहिए।
प्रसंग कुछ इस प्रकार है
राम और रावण का युद्ध चल रहा था तो उस बीच में ही अष्टाह्निका पर्व आ गया। तब सैनिको ने विचार किया कि अब आठ दिन युद्ध नही करेंगे और ना ही किसी अन्य प्रकार की हिंसा का काम करेंगे। रावण भी विद्या सिद्ध करने के लिए श्रीशान्तिनाथ भगवान के मंदिर में चला गया। पूरी पूजन की ज़िम्मेदारी अपनी पत्नी मन्दोदरी को दे दी। लंका में यह घोषणा करवा दी कि अब आठ दिन तक कोई किसी भी प्रकार की हिंसा नहीं करेगा। सब लोग जिनेन्द्र भगवान की पूजन, अभिषेक करेंगे। यहां तक कि कोई युद्ध करने आए तो भी कोई युद्ध नही करेगा। लंका नगरी और वहां स्थित जिन मंदिरों को फूलों, तोरणों द्वारा सजाएगा। सभी मंदिरों में विशेष पूजन, अभिषेक की व्यवस्था की गई और लंका नगरी में घोषणा भी करवा दी की सभी लोग अब भगवान की आराधना में लगे रहेंगे।
तो इस प्रकार आपने देखा कि इतने बड़े युद्ध के दौरान भी कैसे धर्म का पालन किया गया।
अनंत सागर
प्रेरणा
तेतालीसवां भाग
26 फरवरी 2021, गुरुवार, बांसवाड़ा
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