अंतर्मन से शुद्ध होने के लिए ध्यान और तप जरूरी भगवान महावीर के जन्मकल्याणक पर विशेष जैन धर्म के इस काल के अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर हुए हैं। आज उनका
अयोध्यानगरी में भवदत्त नाम का सेठ रहता था। उसकी स्त्री का नाम धनदत्ता था और पुत्र का नाम लुब्धदत्त था। एक बार वह लुब्धदत्त व्यापार के निमित्त दूर गया। वहाँ
आहीर देश के नासिक्य नगर में राजा कनकरथ रहते थे उनकी रानी का नाम कनकमाला था। उनका एक यमदण्ड नाम का कोतवाल था। उसकी माता अत्यन्त सुन्दरी थी। वह यौवन
वत्सदेश की कौशाम्बी नगरी में राजा सिंहस्थ रहता था। उसकी रानी का नाम विजया था। वहाँ एक चोर कपट से तापस होकर रहता था। वह दूसरे की भूमि का स्पर्श
जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र सम्बन्धी सिंहपुर नगर में राजा सिंहसेन रहता था। उसकी रानी का नाम रामदत्ता था। उसी राजा का एक श्रीभूति नाम का पुरोहित था। वह जनेऊ में कैंची