दूसरी ढाल गृहीत-मिथ्यादर्शन और कुगुरु का स्वरूप जो कुगुरु कुंददेव कुधर्म सेव, पोषे चिर दर्शन मोह एव। अन्तर रागादिक धरैं जेह, बाहर धन अम्बर तैं सनेह।।9।। अर्थ – जो
सातगौड़ा घोड़े की परीक्षा करने में बहुत होशियार थे। घोड़े के शरीर में स्थित चिह्नों को देखकर ही वह घोड़े के गुण और अवगुण बता देते थे । बैल
पद्मपुराण के पर्व तिरासी में राम, सीता और लक्ष्मण के अयोध्या में प्रवेश के बात सीता पर लांछन का वर्णन है। आइए उसे पढ़ते है। राम जब अयोध्या में आए
दूसरी ढाल अगृहीत-मिथ्याचारित्र का लक्षण व गृहीत मिथ्यात्व आदि के वर्णन की सूचना इन जुत विषयनि में जो प्रवृत्त, ताको जानो मिथ्याचरित्र। यों मिथ्यात्त्वादि निसर्ग जेह, अब जे गृहीत सुनिये
हम बोल चाल की भाषा में बोलते है ना कि एक मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है। यह बात अब समझ में आ जानी चाहिए। केन्द्र सरकार, राज्य