बच्चों आज पाठशाला में बात करते है अपने अंदर की शक्ति को बढ़ाने की। बच्चों, तुम्हें पता है अगर आत्म शक्ति (अंदर की शक्ति) मजबूत हो तो हम हर दुःख, संकट
दूसरी ढाल अजीव एवं आस्रव तत्त्व का विपरीत श्रद्धान तन उपजत अपनी उपज जान, तन नसत आपको नाश मान। रागादि प्रगट ये दु:ख देन, तिनही को सेवत गिनत चैन।।5।। अर्थ
आप सभी को पता होना चाहिए कि सातगौड़ा को बचपन से इतना वैराग्य क्यों था? क्योंकि सातगौड़ा लौकिक आमोद-प्रमोद के कामों से दूर रहकर सदैव आस-पास और गांव में होने
पद्मपुराण के पर्व अस्सी में लिखा धर्म उपदेश कोरोना काल में आत्मचिंतन के लिए बहुत उपयोगी है। तो आओ देखते हैं क्या है यह उपदेश – इस संसार में पूर्वकृत
आज मैं आपको सातगौड़ा की कुछ ऐसी बातों से परिचित करवाऊंगा, जिससे सातगौड़ा की जीवन शैली का अहसास आप सभी को होगा। सातगौड़ा बचपन से ही दूसरों के प्रति