कविता

पुण्य

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स्वर्ग से मोक्ष का सफल करवाता है भक्ति, आराधना, उपासन इसका टिकट दान, वात्सल्य, करूणा है बुकिंग स्थल देव, शास्त्र,…

कर्म

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हर राह पर साथ यही है, कभी गम कभी खुशी दे जाते हैं वर्तमान, भूत, भविष्य इन्हीं पर निर्भर हैं…

ध्यान

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बाकी यही है करना, जो अब तक नहीं किया, कहां से शुरू करूं पता नहीं, यही चिंतन, विचार करता हूं,…

चाह

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अब थक गया हूं, कुछ होता नहीं, अब चाह है सोने की, स्थान ढूंढ रहा हूं, कब-कैसे मिले, पता नहीं

गुण

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देखकर दूसरों के, अच्छे-बुरे कर्म से, अपनाने, छोडऩे का पर होता नहीं ऐसा, ऐसा क्या करूं, आएं चले जाएं

विचार

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ब्रह्माण्ड में तैरते विचार आते हैं और पलभर में कई बार खो भी देते हैं अपना अस्तित्व। विचार ही तो…

ज्ञान

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ज्ञान मेरा अपना फिर भी नहीं है, कब किसे आएगा कोई नहीं जानता। प्रतिदिन करता हूं आराधना अपने आराध्य की…

संस्कार

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“संस्कार के बिना नहीं दिखती परमात्मा बनने की राह पहचान नहीं पाया इन्हें, इसलिए भटक रहा हूं संस्कार की खोज…

भक्ति

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पहले स्वार्थ से करता था, अब निस्वार्थ करता हूं भक्ति यही प्रथम सीढ़ी है, पहचान की। लेकिन नहीं अपनाया अब…
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