08 Apr By admin 0 Comment In प्रेरणा प्रेरणा : कितना भी शत्रु भाव हो पर मानवता जरूरी है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
07 Apr By admin 0 Comment In स्वाध्याय स्वाध्याय : 22 दर्शन,ज्ञान और चारित्र के पहले सम्यक् विशेषण क्यों लगता है ।
07 Apr By admin 0 Comment In श्रावक श्रावक : आहार दान से उत्तम कोई दान नहीं है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
06 Apr By admin 0 Comment In कर्म सिद्धांत कर्म ही हैं जो बुद्धि फिरा देते हैं – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज