11 Jul By admin 0 Comment In शांति कथा शांति कथा – भाग सोलह : दूसरों की अंतर्वेदना दूर करने के लिए सदैव तत्पर रहते थे सातगौड़ा – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
11 Jul By admin 0 Comment In शांति कथा शांति कथा – भाग अठारह : सहभोजन आदि से आत्मा का उत्थान मानना भ्रम मानते थे आचार्य शांतिसागर जी – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
11 Jul By admin 0 Comment In शांति कथा शांति कथा – भाग अडतालीस : जिनेंद्र भगवान की वाणी में विश्वास न होने से ही मिलती है विफलता-आचार्य शांतिसागर महाराज
05 Jul By admin 0 Comment In शांति कथा भाग पचास : जितना चाहे करो धर्म का पालन, लेकिन करो अच्छी तरह से-आचार्य शांतिसागर महाराज
04 Jul By admin 0 Comment In शांति कथा भाग उन्चास : जैन धर्म में नहीं है निरपराधी जीव की हिंसा – आचार्य शांतिसागर महाराज
02 Jul By admin 0 Comment In शांति कथा भाग सैंतालीस : व्रती जीव ही देवगति में जाता है, इसलिए करें पापों का त्याग-आचार्य शांतिसागर महाराज
01 Jul By admin 0 Comment In शांति कथा भाग छियालीस : अपनी प्रशंसा सुनकर राई के बराबर भी आनंद नहीं मिलता था आचार्य शांतिसागर महाराज को
30 Jun By admin 0 Comment In शांति कथा भाग पैंतालीस : आचार्य श्री शांतिसागर महाराज की हर चेष्टा प्रदान करती थी संयम की प्रेरणा
29 Jun By admin 0 Comment In शांति कथा भाग चवालीस : शरीर के प्रति निस्पृह भावना के कारण नहीं रहती दिगंबर साधुओं में वस्त्रधारण की मनोवृत्ति-आचार्य शांतिसागर महाराज
28 Jun By admin 0 Comment In शांति कथा भाग तैंतालीस : आचार्य शांतिसागर हर उपसर्ग को ऐसे सहन करते थे, जैसे यह शरीर ही उनका नहीं