22 May By admin 0 Comment In पाठशाला धर्म के समागम से प्राणी समस्त इष्ट वस्तुओं को प्राप्त कर सकता है – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
21 May By admin 0 Comment In शांति कथा भाग चौदह : भाई के प्रवचन सुनकर सातगौड़ा के मन में बढ़ा था वैराग्य का भाव – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
21 May By admin 0 Comment In अंतर्भाव जब तक संसार है तब तक विषयों से यह प्राणी तृप्त नहीं होता है – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
20 May By admin 0 Comment In शांति कथा भाग तेरह : अपने से झगड़ने वाले को भी बड़े प्रेम से समझाते थे सातगौड़ा – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
19 May By admin 0 Comment In शांति कथा भाग बारह : बच्चों के प्रति वात्सल्य का भाव रखते थे सातगौड़ा – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
19 May By admin 0 Comment In श्रावक श्रावक को कभी उपकार नहीं भूलना चाहिए – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
18 May By admin 0 Comment In शांति कथा भाग ग्यारह : भोजग्राम के लिए पिता तुल्य थे सातगौड़ा – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज